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युग-युग के अवतारी जय

 


सृष्टि प्रदीपन हेतु धरा पर

युग-युग के अवतारी जय।

मूल-नियंता, सर्व दयामय

ईश, परम अविकारी जय।।

मंगलकारक, विमल प्रबोधन

अविनाशी, भयहारी जय।

श्री-नारायण ईश परायण

वासुदेव, गिरिधारी जय।।

...“निश्छल”

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